Tuesday, October 10, 2017

Kinds of Music In Hindi

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  सरगम - स्वरों की ऐसी मधुर मालिका जो कर्णमधुर एवं आकर्षक हो और राग रूप को स्पष्ट कर दे वही सरगम है। इसे आलाप के बजाय स्वरों का उच्चार करते हुये गाया जाता है।
·        कव्वाली - कव्वाली नामक ताल में जो प्रबंध गाया जाता है वह है कव्वाली। विशेषकर मुस्लिम भजन प्रणाली जिन्हें खम्सा और नात् कव्वाली कहते हैं।
·        धमार - धमार नामक ताल में होरी के प्रसंग के गीत जो कि ध्रुवपद शैली पर गाये जाते हैं, धमार कहलाते हैं।
·        ठुमरी - राधाकृष्ण के या प्रेम की भावना से परिपूर्ण श्रंगारिक गीत जिसका अर्थ मिलन अथवा विरह की भावना में लिपटा रहता है, खटकेदार स्वरसंगतियों और भावानुकूल बोल आलापों एवं बोलॅतानों से सजाते हुए अर्थ सुस्पष्ट करके गाया जाता है उसे ठुमरी कहते हैं। लखनऊ, बनारस तथा पंजाब शैली की ठुमरियां अपनी अपनी विशेषता से परिपूर्ण होती हैं। इसमे प्रयक्त होने वाले ताल हैं पंजाबी, चांचर, दीपचंदी, कहरवा और दादरा आदि।click here

·        तराना - वीणा वादन के आघात प्रत्याघातों को निरर्थक दमदार बोलों द्वारा व्यक्त करते हुए वाद्य संगीत कि चमाचम सुरावट कंठ द्वारा निकालना और लय के बांटों का रसभंग न होते हुए सफल प्रदर्शन तराना गायन की अविभाज्य विशेषता है। तेज लय में ना ना ना दिर दिरर्रर्र आदि कहने का नाम तराना नही है। वीणावादन का सफल प्रदर्शन कंठ द्वारा होना चाहिये, वही तराना है।click here
·        भजन - सूरदास, मीरा, तुलसी, युगलप्रिया, प्रताप बाला, जाम सुत्ता, कबीर आदि संतों द्वारा रचे हुए ईश्वर के गुणानुवाद तथा लीलाओं के वर्णन के प्रबन्ध जिन्हे गायन करके आत्मानन्द व आत्मतुष्टि अनुभूत की जाती है उसे भजन कहते हैं। इनके ताल हैं कहरवा, धुमाली, दादरा आदि।
·        गीत - आधुनिक कवियों द्वारा रचे हुए भावगीत जो शब्द अर्थ प्रधान रहते हैं लोकॅसंगीत के आधार पर अर्थानुकूल गाये जाते हैं इन्हें ही गीत कहते हैं।
·        खयाल अथवा ख्याल - ख्याल फारसी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है कल्पना। ख्याल के २ भेद हैं। पहिला है बड़ा ख्याल और दूसरा छोटा ख्याल। बड़ा ख्याल, विलम्बित लय में ध्रुवपद की गंभीरता के साथ गाया जाता है और कल्पना के आधार पर विस्तारित किया जाता है। इसे गाते समय आठों अंगों का व्यवहार समुचित किया जाता है। बड़े ख्याल में प्रयुक्त होने वाले ताल हैं एकताल, तिलवाड़ा, झूमरा, रूपक, झपताल, आड़ा-चौताल, आदिताल आदि।click here
छोटा ख्याल चंचल सरस चमत्कार प्रधान और लय के आकर्षण से परिपूर्ण होता है इसे गाते समय भी आठों अंगों का प्रयोग किया जाता है। त्रिताल, एकताल, झपताल, रूपक और आड़ा-चौताल आदि द्रुतलय में बजाये जाते हैं जो कि छोटे ख्याल में प्रयुक्त होते हैं।
·        होरी - होली के प्रसंग की कविता या गीत जो ठुमरी के आधार पर गाया जाता है, होरी कहलाता है।click here
·        चतुरंग अथवा चतरंग - चतरंग गीत का ऐसा प्रकार है जिसमें चार प्रकार के प्रबंध दर्शन एक साथ होते हैं, ख्याल, तराना, सरगम और तबला या पखावज की छोटी सी परन, इनका समावेश होता है चतरंग में।
·        ग़ज़ल - उर्दू भाषा की शायरी या कविता गायन को ग़ज़ल गायन कहते हैं। यह शब्द प्रधान, अर्थ दर्शक, गीत प्रकार है जो कि विशेष प्रकार के खटके, मुरकियों आदि से मंडित किया जाता है। इसमें कहरवा, धुमाली, दादरा आदि तालों का प्रयोग किया जाता है।click here
·        खटके और मुरकियाँ - सुन्दर मुरकियाँ ही ठुमरी की जान है। मुरकी वह मीठी रसीली स्वर योजनाएँ हैं, जो मधुर भाव से कोमल कंठ द्वारा ली जाती हैं। जबकि खटके की स्वर योजनाएँ भरे हुए कंठ द्वारा निकाली जाती हैं। यही मुरकी और खटके में भेद है।
·        लोक-गीत - यह संगीत दूर दराज के गावों में गाया जाता है, और इसके अनेक रूप विविध भाषाओं में देखने को मिलते हैं। चैती, कजरी आदि लोकगीत के रूप हैं।
·        नाट्य संगीत - नाटकों में गाया जाने वाला संगीत नाट्य संगीत कहलाता है।

·        सुगम संगीत - शास्त्रीय संगीत से सुगम अथवा सरल संगीत, सुगम संगीत कहलाता है। इसमें गाई जाने वाली विधाएँ हैं गीत, गजल, भजन, कव्वाली, लोक-गीत इत्यादि।click here

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